शहर के मोहल्ला बनारसीदास स्थित मंदिर में मां काली का विग्रह विराजमान है। शक्तिपीठ के रूप में यह भी प्रसिद्ध है। यहां पर पूरे वर्ष भक्त मां के दर्शन व पूजा अर्चना को आते हैं। मंदिर पर बच्चों के मुंडन आदि कई संस्कार भी होते हैं। नवरात्र में जवारे झंडा चढ़ाकर मनौती मानते हैं। शारदे व चैत्र के महापर्व पर श्रीमछ्वागवत व देवी पुराण के प्रवचन सुनने को मिलते हैं। दर्शन के लिए यहां पर औरैया ही नहीं आस पड़ोस के जनपद से भी भक्त पहुंचते हैं। इसमें जालौन, इटावा, कन्नौज, कानपुर देहात जिले प्रमुख हैं। मंदिर का इतिहास करीब 100 वर्ष पुराना मंदिर श्रद्धा व आस्था का केंद्र है। भक्तों के सहयोग से इस मंदिर को भव्य स्वरूप प्रदान किया गया। अब मां दुर्गा जी का विग्रह स्थापित है। अब यहां पर शनि, हनुमान जी, शिव परिवार आदि देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। कैसे पहुंचें मंदिर तक पहुंचने के लिए जेसीज चौराहा पर उतरकर जाना पड़ता है। चौराहा से पश्चिम दिशा में 50 मीटर की दूरी पर मंदिर स्थापित है। शहर के अंदर व जालौन, कानपुर, व कन्नौज से आने वाले भक्तों को जेसीज-फफूंद चौराहा ही पहुंचना होगा। विशेषता भक्तों का मानना है कि मां के चरणों में लगाई गई अरदास पूरी होती है। कचहरी जाने वाले लोग अधिवक्ता व वादकारी मां की चौखट पर मत्था टेकते हैं। पूरे शहर के नए जोड़े शादी के बाद मां के दरबार जरूर आते हैं। पुजारी की बात नवरात्र में नौ दिन तक भागवत कथा का आयोजन किया गया है। श्रद्धालुओं की सभी सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा गया है। पुलिस प्रशासन का गश्त भी सुबह शाम रहता है। मंदिर में नौ दिन तक बच्चों के मुंडन, कर्ण छेदन आदि संस्कार होते हैं। हवन पूजन आदि कार्यक्रम आयोजित होते हैं।